New Step by Step Map For पारद शिवलिंग प्राइस

In today's society, autos have grown to be necessities for Many of us, instead of luxuries. Purchasing a car should be an interesting and satisfying expertise, not just one stuffed with aggravation and dread.

सावन के महीने में विधि विधान से पारद और स्फटिक शिवलिंग की पूजा करना कल्याणकारी होता है। पारद शिवलिंग की पूजा के दिन ब्रह्ममुहुर्त में उठकर स्नान आदि कार्य खत्म कर लेने चाहिए। इसके बाद मंदिर की सफाई करनी चाहिए। मंदिर में सफेद कपड़े का आसन बिछाकर पारद शिवलिंग की स्थापना इस प्रकार करें कि पारद शिवलिंग की पूजा करते समय जातक का मुंह उत्तर- पूर्व दिशा की तरफ रहे। पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ घी का दिया जलाएं और ॐ मृत्युभजाय नमः, नीलकंठाय नमः, ॐ रुद्राय नमः और ॐ शिवाय नमः मंत्रों का जाप करें। मंत्र जाप करने के बाद हाथों में कुछ चावल और फूल लेकर पारद शिवलिंग पर अर्पित जरूर करें। ऐसा करने का अर्थ होता हुआ की हमारी पूजा संपन्न हो गई है।

Parad get oxidises after reacting Together with the atmospheric oxygen. So we have to clean the Parad Shivalingam. We must each alternate day thoroughly clean the Parad shivling with refreshing lemon.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पारद शिवलिंग को बहुत शुभ माना गया है। पारद शिवलिंग शुद्ध पारा धातु से बना होता है। इसकी स्थापना से दरिद्रता दूर हो जाती है और माता लक्ष्मी का घर में वास होता है। पारद शिवलिंग को स्थापित करने से आरोग्य, धन-धान्य, सुख और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग को भगवान् शिव, माँ लक्ष्मी और कुबेर देव का प्रतीक माना जाता है। आंतरिक और आध्यत्मिक शक्ति पाने के लिए भी पारद शिवलिंग की स्थापना की जाती है।

- बेलपत्र और जल की धारा अर्पित करें. - इसके बाद शिव जी के मंत्रों का जाप करें.

मन शांत क्यों नहीं होता है?: महिला ने एक संन्यासी से पूछा कि सच्चा सुख कैसे मिल सकता है, संत ने कहा कि मैं कल बताउंगा और अगले दिन संत गंदा कमंडल लेकर आए

पूजा स्थल को साफ़ करके वहां गंगाजल छिड़कें।

यह घर के वातावरण को सुखमय और समृद्ध बनाता है।

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ईश्वरीय कृपा: पारद शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने में सहायक होती है।

पारद को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है और ब्रह्माण्ड को जन्म देने वाले उनके वीर्य का प्रतीक भी इसे माना जाता है। धातुओं में अगर पारद को शिव का स्वरूप माना गया है तो ताम्र को माँ पार्वती का स्वरूप। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमय हो जाता है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को सुवर्ण रसलिंग भी कहते हैं।



अभिषेक मध्ये तुप , पाणी , गंगाजल , मध, (पाच वस्तूने बनविलेले पंचामृत) , वापर करू शकता.

पूजा-पाठमध्ये दगडाव्यतिरिक्त वेगवेगळ्या धातूंचे here शिवलिंगही ठेवले जाते. सर्व धातूंच्या शिवलिंग पूजेचे महत्त्व वेगवेगळे आहे. घरामध्ये स्थापित करण्यासाठी वेगवेगळ्या धातूंचे शिवलिंग बाजारात सहजपणे मिळतात. उज्जैनचे ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा यांच्यानुसार, कोणत्याही धातूचे छोटेसे शिवलिंग घरात ठेवावे.

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